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किसानों को पसंद आई मूंगफली छीलने की मशीन

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एक्सीलेंट मेडिशनल एंड एनवॉयरमेंट विभाग किसानों को कौशल विकास प्रशिक्षण के तहत अपडेट कर रहा है। इससे विभाग में हर्बल शोध के साथ कई प्रकार के विवि द्वारा निर्मित मशीनों का लगाया गया है। इसके माध्यम से गांवों में रह रही महिलाओं और किसानों को जागरूक करने का बेहतर प्रयास हो रहा है। वहीं विभाग में देसी कोर्स के प्रभारी एसएस टुटेजा ने बताया कि मूंगफली छीलने से लेकर आलू चिप्स मशीन का डेमो दिया जाता है। कम समय में सामग्री तैयार करने की मशीन किसानों के लिए काफी उपयोगी बन रही है।

विभाग में ग्रामीण महिलाओं के लिए मूंगफली छीलने की मशीन लगाई गई है, जो एक हस्तचलित उपकरण है। यह मशीन फल्ली को फोड़कर दाने अलग करती है। इस उपकरण को महिलाएं आसानी से चलाती हैं। इस इकाई में एक फ्रेम, हैंडिल तथा छलनी होती है, जिसमें आयताकार छेद होता है। एक बार में 1.5 से 2 किलो फल्ली फोड़ने के लिए इसमें डाली जाती है, जिसे अवतल तथा दोलन करने वाली लोहे/नायलॉन शू लगी हुई है, जिसके बीच फोड़ी जाती है। वहीं इसकी कीमत भी बहुत अधिक नहीं है। मात्र 2500 से शुरू होकर 5 हजार तक है। इसके अलावा धान कुटाई, गेहूं पिसाई, इमली पैकिंग आदि की मशीन लगी हैं।

देसी से 627 सेवा केंद्र पंजीकृत

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. एएल राठौर ने देसी पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित इस एक वर्षीय पाठ्यक्रम के तहत राज्य के 11 जिलों के 627 कृषि सेवा केन्द्र संचालक पंजीकृत हैं, जिन्होंने कहा कि राज्यभर में पांच हजार से अधिक कृषि सेवा केन्द्र संचालित हैं, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से इस पाठ्यक्रम से जोड़ा जाना है। वहीं इन केंद्रों पर टेबलेट का दिया जाएगा, जिससे किसान फसल में लग रहे रोग के बारे में सुझाव व उपचार पा सकेंगे।

500 बीज कंपनी संचालित

भारत की आजादी के समय यहां एक भी निजी बीज कंपनी नहीं थी, जबकि आज 500 से अधिक सुसंगठित बीज कंपनियां कार्यरत हैं। अब तो भारत से बीजों का निर्यात भी होने लगा है। भारत से म्यामार एवं दक्षिण कोरिया को कपास, पाकिस्तान को सूरजमुखी, शार्क देशों को मक्का एवं अफ्रीकन देशों को चावल एवं अन्य फसलों के बीजों का निर्यात किया जा रहा है।

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