बजट सत्र का दूसरा चरण: हंगामे के बाद संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित
संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हो गया है। हालांकि उम्मीद के मुताबिक हंगामे के कारण राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित हो गई। कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी पार्टियों ने एनडीए सरकार को घेरने के लिए पीएनबी घोटाले को उठाने की रणनीति तैयार की है। पीएम मोदी भी संसद में मौजूद रहे, जहां पहुंचने पर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उनका जोरदार स्वागत किया
इससे पहले आरजेडी सांसद जेपी यादव ने पीएनबी घोटाले को लेकर लोकसभा में भी स्थगन प्रस्ताव पेश किया था। वहीं टीएमसी ने संसद भवन में महात्मा गांधी की मूर्ति के समीप प्रदर्शन भी किया।
विपक्षी पार्टियां संयुक्त संसदीय समिति से पीएनबी घोटाले की जांच कराने की मांग भी करने वाली हैं। हालांकि तीन राज्यों की ताजा चुनावी कामयाबी से उत्साहित सरकार भी घोटाले की जांच में बरती जा रही तेजी के सहारे विपक्ष के दांव को थामने के लिए तैयार है।
संसद के दोनों सदनों में कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये पीएनबी घोटाले पर बहस की मांग की रणनीति से साफ है कि विपक्षी दल बजट सत्र के दूसरे चरण में इस मुद्दे को सरकार के खिलाफ सबसे अहम सियासी हथियार बनाएंगे।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पीएनबी घोटाले से पहले विपक्षी दलों के लिए एनडीए सरकार पर सवाल उठाने की गुंजाइश नहीं थी। मगर नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के इस घोटाला प्रकरण के सामने आने के बाद विपक्षी दल खासतौर पर कांग्रेस भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एनडीए की नैतिक बढ़त को खत्म करना चाहती है। इसीलिए संसद सत्र मंे दूसरे विपक्षी दलों के साथ जेपीसी के गठन की संयुक्त रणनीति पर कांग्रेस चर्चा कर रही है ताकि एनडीए सरकार को भी भ्रष्टाचार के मसले पर घेरा जा सके। संसद का यह बजट सत्र 6 अप्रैल तक चलेगा।
विपक्षी दलों की इस रणनीति को देखते हुए सरकार भी जवाबी दांव चलने में कसर नहीं छोड़ेगी। संसद सत्र के अवकाश के बाद आगाज से ठीक पहले कैबिनेट ने देश से धोखाधड़ी कर विदेश भाग जाने वाले आरोपियों से वसूली करने वाले बिल को मंजूरी दे दी है। सरकार इसी सत्र में यह बिल संसद से पारित कराने की प्रतिबद्धता के साथ नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई की तत्परता के ब्यौरे के साथ भी विपक्ष के प्रहारों का जवाब देने की कोशिश करेगी।
पीएनबी घोटाले के साथ विपक्ष इस सत्र में महंगाई और किसानों की खराब हालत के मसले पर भी सरकार को घेरने का प्रयास करेगा। वहीं एक साथ तीन तलाक की प्रथा रोकने संबंधी बिल पारित कराने को लेकर भी अगले एक महीने तक संसद में सियासी सरगर्मी चरम पर होगी।
तीन तलाक बिल लोकसभा से पारित हो चुका है और राज्यसभा में विचाराधीन है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने बजट सत्र के पहले चरण के दौरान इस बिल को राज्यसभा की सिलेक्ट कमिटी में भेजने की मांग रखी थी मगर सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई थी। विपक्षी पार्टियां तीन तलाक बिल में कुछ संशोधन चाहती हैं जबकि सरकार लोकसभा से पारित बिल में किसी बदलाव के पक्ष में नहीं है।