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खत्म होगी कोयले की मोनोपॉली, प्राइवेट कंपनियां कर सकेंगी कोयला खदानों का इस्तेमाल

नई दिल्‍ली। कोल सेक्‍टर में हो रहे बड़े रिफॉर्म का असर बिजली कीमतों पर दिखाई देगा। इससे जहां बिजली सस्‍ती हो सकती है, वहीं कोयले की वजह से अटके प्रोजेक्‍ट्स भी शुरू होने की उम्‍मीद है। कोयले की कमी के कारण इन दिनों लगभग 26 थर्मल यूनिट बंद पड़ी हैं। लेकिन कोल सेक्‍टर को प्राइवेट माइनिंग कंपनियों को कॉमर्शियल माइनिंग का काम शुरू होने के बाद कोयले की उपलब्‍धता बढ़ जाएगी, जिसके चलते ये यूनिट सुचारू रूप से चलने लगेंगी।

प्रोजेक्‍ट्स होंगे रिवाइव
पीडब्‍ल्‍यूसी के पार्टनर एवं लीडर (एनर्जी, यूटिलिटी एवं माइनिंग) कामेश्‍वर राव ने कहा कि कई पावर प्‍लांट्स फ्यूल सप्‍लाई न होने के कारण कई प्रोजेक्‍ट्स अटके हुए हैं, लेकिन कॉमर्शियल कोल सप्‍लाई के बाद ये प्रोजेक्‍ट रिवाइव हो सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि यह फैसला इंडस्‍ट्री के लिए काफी पॉजिटिव रहेगा। इससे कोल माइनिंग, पावर जनरेशन, ट्रांसमिशन, डिस्ट्रिब्‍यूशन कंपनियों को फायदा पहुंचेगा। इससे कोयले के इंपोर्ट प्राइस पर भी चेक रखा जा सकेगा और डोमेस्टिक कोयले की कॉस्‍ट में भी कमी आएगी ।

बिजली होगी सस्‍ती
एक प्राइवेट पावर कंपनी के उच्‍चाधिकारी ने कहा कि इस फैसले के बाद अब प्राइवेट माइनिंग कंपनियां अपनी कैपेसिटी का अधिकतम उपयोग करके ज्‍यादा से ज्‍यादा कोयले का खनन करेंगी और मार्केट में बेचेंगी। इससे मार्केट में कोयले की उपलब्‍धता बढ़ जाएगी। भारत में लगभग 75 फीसदी बिजली कोयले से चलने वाले थर्मल प्‍लांट से मिलती है। जब इन थर्मल प्‍लांट को कम कीमत में पर्याप्‍त मात्रा में कोयला मिलेगा तो पावर जनरेशन कंपनियां भी अधिक से अधिक बिजली उत्‍पादन करेंगी। इससे होने वाले कॉम्पिटीशन के कारण बिजली सस्‍ती होगी। उन्‍होंने कहा कि फिलहाल थर्मल पावर की कीमत दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इसकी वजह डोमेस्टिक कोयले की अनुपलब्‍धता और इंपोर्ट कोयले का महंगा होना है।

अभी क्‍या है व्‍यवस्‍था
अभी तक प्राइवेट कंपनियों कोयले का खनन तो कर सकती हैं, लेकिन उस कोयले का इस्‍तेमाल वही कंपनियां अपने पावर प्‍लांट या स्‍टील प्‍लांट में कर सकते हैं। लेकिन अब ये कंपनियां खुले बाजार में भी कोयला बेच सकेंगी, जबकि अभी केवल सरकारी कंपनियों को ही बेचने की इजाजत है।

क्‍या हुआ फैसला
मंगलवार को कैबिनेट ने प्राइवेट कंपनियों की कमर्शियल माइनिंग को मंजूरी दे दी। सीसीईए के इस फैसले की जानकारी देते हुए कोयला मिनिस्टर पीयूष गोयल ने कहा कि इस रिफॉर्म से कोयला सेक्टर की क्षमता में सुधार होने की उम्मीद है और सेक्टर मोनोपोली से कॉम्पिटीशन के दौर में प्रवेश करेगा।

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