पेरिस में टेरर फंडिंग पर होगी बैठक, PAK पर कस सकता है शिकंजा
पेरिस में इस हफ्ते के अंत में आतंकवाद पर होने वाली तीन दिवसीय एफएटीएफ बैठक में पाकिस्तान पर शिकंजा कसा जा सकता है. आतंकियों को वित्त पोषण और मनी लॉड्रिंग के मामले में पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में डाला जा सकता है. मीटिेंग में इस पर विचार किया जाएगा कि आतंकियों को फंडिंग करने के मामले में पाकिस्तान से एफएटीएफ की सिफारिशों का पालन किस तरह से कराया जाए.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार कई देशों के संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की पेरिस में होने वाली बैठक रविवार से शुरू हो रही है. ग्रे सूची में डाले जाने से पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेनदेन पर सख्त निगरानी होगी और उसको मिलने वाले विदेशी निवेश तथा वाणिज्यिक लेनदेन पर भी असर पड़ सकता है.
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों की फंडिंग को रोकने के लिए जरूरी कानून पर्याप्त रूप से लागू नहीं किए हैं. यही नहीं, उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा निर्धारित संगठनों जैसे जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. ये संगठन पाकिस्तान में पूरी आजादी से संचालित हो रहे हैं और खुलेआम चंदा जुटाते हैं.
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) साल 1989 में स्थापित एक अंतर-सरकारी संस्थान है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी संगठनों के वित्त पोषण की समीक्षा और उन्हें लागू करने के लिए जरूरी उपायों की निगरानी करता है. यह इन उपायों को लागू करने के लिए तमाम तरीकों को भी बढ़ावा देता है. इस संगठन में कुल 37 देश हैं.
पाकिस्तान इसके पहले भी साल 2012 से 2015 तक FATF के ग्रे लिस्ट में रह चुका है. इस बार उसे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने ग्रे लिस्ट के लिए नॉमिनेट किया है. चीन ने पिछली बार ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान के रखने का विरोध किया था और इस बार भी वह ऐसा कर सकता है. लेकिन पाकिस्तान के इस सूची में डालने से रोकने के लिए यह जरूरी है कि उसे कम से कम तीन पूर्ण सदस्य देश इसका विरोध करें. पाकिस्तान अब रूस, खाड़ी देशों और टर्की को मनाने की कोशिश कर रहा है. इसका नतीजा मंगलवार को पता चलेगा.