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पहली बार भारतीय समुद्र में 22 देश करेंगे मिलिट्री एक्सरसाइज, 70 जंगी जहाज पांच दिन जूझेंगे

नई दिल्ली. भारतीय नेवी अब तक के सबसे बड़े ‘वॉरगेम’ की तैयारी कर रही है। हिंद महासागर में अंडमान-निकोबार के आसपास के हजारों वर्गमील समुद्री क्षेत्र में यह एक्सरसाइज होगी। 1 मार्च से शुरू होने वाली इस एक्सरसाइज में पहली बार भारत में दुनिया के 22 देशों की नेवी जुटेंगी। इंडियन नेवी के मुताबिक, इस बार 30 से ज्यादा जंगी जहाज मेहमान नौसेनाओं के हो सकते हैं, जबकि भारतीय नौसेना की पूर्वी कमान के बेड़े का एक बड़ा हिस्सा उनकी मेजबानी करेगा।

‘मिलन’ सीरीज के तहत हो रही एक्सरसाइज
– करीब 70 जंगी जहाजों की इस वॉरगेम में हिस्सेदारी होगी। पांच दिन तक ये जहाज और उन पर सवार सैकड़ों नौसैनिक जंग और नेचुरल डिजास्टर से निपटने और आपसी तालमेल पर काम करेंगे।

– नेवी की यह एक्सरसाइज ‘मिलन’ सीरीज के तहत हो रही है। नौसेना की पश्चिमी कमान के पूर्व चीफ वाइस एडमिरल शेखर सिन्हा ने बताया कि इसका मकसद समुद्र में किसी प्रकार की गैर कानूनी गतिविधि पर रोक लगाना होता है।

पाक को छोड़ हिंद महासागर तट से लगे ये देश शामिल
1. भारत
2. ऑस्ट्रेलिया
3. तंजानिया
4. न्यूजीलैंड
5. फिलीपींस
6. बांग्लादेश
7. कंबोडिया
8. म्यांमार
9. थाईलैंड
10. इंडोनेशिया
11. सिंगापुर
12. मलेशिया
13. सेशेल्स
14. मॉरीशस
15. साउथ अफ्रीका
16. वियतनाम
17. ब्रुनेई
18. मोजांबिक
19. केन्या
20. यूएई
21. यमन
22. ओमान

( इनमें से कुछ देश अपने जंगी पोतों के साथ आएंगे, चंद देशों की हिस्सेदारी उनके डेलिगेशन करेंगे।)

-दिलचस्प मुकाबले भी होंगे: ‘मिलन’ में आने वाले जंगी जहाजों पर खाना बनाने वाले कुक इस दौरान जमा होंगे और कुकिंग कॉम्पिटीशन होगा। इसके अलावा एक बड़ा खेल भी उनके लिए पोर्ट ब्लेयर में रखा गया है।

-सिटी परेड से होगा समापन : वॉरगेम का भव्य समापन सिटी परेड से होगा जिसमें मेहमान नौसेनाएं अपने-अपने जहाज पोर्ट ब्लेयर शहर के तट पर ले जाएंगी। इसमें से उतरकर नौसैनिक भी परेड करेंगे।

– एक्सरसाइज की शुरुआत ‘टेबल टॉप’ से होगी। यानी इसमें मेहमान जंगी पोतों के कमांडर अभ्यास का पूरा खाका तैयार करेंगे। इसमें मुख्य जोर पोतों के बीच आपसी कम्युनिकेशन और इंटर ऑपरेबिलिटी पर होगा। टेबल टॉप में मिशन टीमें बंट जाएंगी और वॉरगेम असली रणक्षेत्र में पहुंच जाएगा।

– अभ्यास में नौसेनाएं ये परखेंगी : नेचुरल डिजास्टर के समय राहत और बचाव कार्यों का अभ्यास, एंटी पायरेसी ऑपरेशंस, सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशंस, विभिन्न देशों के चेतावनी संकेतों, लॉजिस्टिक मैनेजमेंट, प्राकृतिक आपदाओं के किट और उनकी डिलीवरी के तंत्र को भी परखा जाएगा।

1995 में शुरू हुई थी ‘मिलन’ सीरीज

– 1995 में भारत की पहल पर हिंद महासागरीय देशों ने ‘मिलन’ अभ्यास शुरू किया।

– 04 देशों की नौसेनाओं ने पहले अभ्यास में भागीदारी की थी।

– 2014 में हुए अभ्यास में 16 देशों की नौसेनाओं का जमावड़ा लगा था।

चीन को समुद्र में हमारी एकजुट ताकत का अंदाजा होगा

Q : हिंद महासागरीय देशों को एकजुट करने की बड़ी वजह?

A: चीन बड़ी वजह है। वह अदन की खाड़ी में पायरेट्स से लड़ने के बहाने इस क्षेत्र में लगातार अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है। श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश जैसे भारत के पड़ोसियों से भी वह पींगे बढ़ाने की कोशिश में है।

Q: इस अभ्यास से चीन पर क्या असर पड़ेगा?
ऐसा सीधा असर तो नहीं पड़ेगा मगर भारत की समुद्र में एकजुट ताकत का स्ट्रांग मैसेज जरूर जाएगा।

Q: चीन कैसे समुद्री पैठ बढ़ा रहा, जो चिंताजनक हैै?
A: उत्तरी हिंद महासागर में एंटी पाइरेसी के नाम पर चीन 8 से 10 शिप भेज रहा था। इस साल यह संख्या 14 तक पहुंच गई। जंगी पोतों को रसद पहुंचाने के नाम पर उसने अदन की खाड़ी में अड्डा कायम कर लिया है।

Q: भारत इससे निपटने के लिए क्या कर रहा है?
A: हिंद महासागर के ‘स्ट्रैट्स चोक प्वाइंट्स’ से चीन का 80% फ्यूल निकलता है। यहां भारतीय नौसेना 4 घंटे निगरानी रख रही है। इस अभ्यास से निगरानी तंत्र को सहयोग मिलता है।

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