तीन तलाक: राज्यसभा में कल पेश हो सकता है बिल, कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों से चर्चा जारी, जानें 10 बातें
नई दिल्ली। मुस्लिम समाज में प्रचलित एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के खिलाफ मुस्लिम महिला (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक को आसानी से लोकसभा में पारित कर लिया गया, लेकिन राज्यसभा में सरकार की राह आसान नहीं है। राजनीतिक दल इसका विरोध भले ही नहीं कर रहे हों, लेकिन ज्यादातर दलों की राय है कि इस विधेयक को स्थाई समिति को भेजकर और बेहतर बनाया जाए। राज्यसभा में मजबूत विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब हो सकता है। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने मंगलवार को कहा है राज्यसभा में बुध्वार को बिल पेश हो सकता है।
सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग
केंद्र सरकार इस बिल को पास कराने के लिए कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों से चर्चा कर रही है। डीएमके और लेफ्ट पार्टियां चाहती हैं कि इस बिल को पहले सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने बहुचर्चित तीन तलाक विधेयक को राज्य सभा की चयन समिति को सौंपे जाने की मांग की है। राकांपा के सांसद मजीद मेमन ने कहा कि इस विधेयक को जल्दबाजी में लाया गया है और कोई पहाड़ नहीं टूट पड़ेगा। इस तरह के मुद्दे संवेदनशील होते हैं। ऐसे में भविष्य में इस तरह के मामलों में जल्दीबाजी करने से बचना चाहिए। मेनन की मानें तो ऐसा लगता है कि सरकार ने मुस्लिम महिला विधेयक ( विवाह अधिकारों का संरक्षण ), 2017 को जल्दबाजी में लाया है। इसके बारे में सभी पक्षों की राय क्यों नहीं ली गयी? इसमें गोपनीयता क्यों बरती गयी?
क्या है राज्यसभा का गणित
कांग्रेस एवं भाजपा दोनों का संख्याबल बराबर है। लेकिन कांग्रेस को अन्य छोटे दलों का समर्थन मिल सकता है जिनकी संख्या करीब 72 है।
भाजपा के पास अपने अलावा सहयोगी दलों के सिर्फ 20 और सांसद हैं और अभी राज्यसभा में करीब 238 सदस्य हैं।
विधेयक राज्यसभा में मंगलवार को पेश होने के लिए सूचीबद्ध है। सरकार की योजना है कि मंगलवार को ही इस पर चर्चा कराकर पारित करा लिया जाए।
28 दिसंबर को लोकसभा में जब विधेयक पर चर्चा हुई थी तो कांग्रेस, माकपा, अन्नाद्रमुक, द्रमुक, बीजद, राजद, सपा समेत कई दलों ने इसे संसदीय समिति को भेजने की मांग जोरदार तरीके से उठाई थी।
राज्यसभा में भी इन दलों का रुख यही रहने की संभावना है। कई छोटे दल भी चाहते हैं कि संसदीय समिति में इस विधेयक को भेजा जाए।
तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा में विधेयक पर तटस्थ रुख अपनाया था। लेकिन वह भी विधेयक को इस स्वरूप में पारित किए जाने के पक्ष में नहीं है।
राज्यसभा में तृणमूल के 12 सांसद हैं। यदि राज्यसभा में सदन की राय बनती है कि विधेयक को संसदीय समिति या सलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए तो तृणमूल कांग्रेस भी इसका समर्थन करेगी।
अगर संख्या बल के बावजूद विपक्षी एकजुटता सदन में नजर नहीं आती है तो फिर सरकार विधेयक को विपक्ष के हंगामे के बीच भी पारित करा सकती है।
कानून एवं न्याय मंत्रालय से संबद्ध स्थाई समिति राज्यसभा की है। इसलिए यदि सदन का बहुमत इसे समिति को भेजने के पक्ष में रहता है तो सरकार के पास दो विकल्प होंगे( एक स्थाई समिति को भेजा जाए। दूसरे, सलेक्ट कमेटी को भेजा जाए। इनमें से कोई भी एक विकल्प विपक्ष को भी स्वीकार हो सकता है।
विपक्ष का सुझाव है कि तीन साल की सजा के प्रावधान पर फिर से विचार हो, मुस्लिम महिलाओं को भरण-पोषण की राशि देने के लिए सरकारी कोष बने तथा मुस्लिम समाज का पक्ष सुना जाए।
राज्यसभा में दलीय स्थिति
कांग्रेस-57
भाजपा-57
सपा-18
अन्नाद्रमुक-13
तृणमूल-12
बीजद-8
वामदल-8
तेदेपा-6
राकांपा-5
द्रमुक-4
बसपा-4
राजद-3