स्वच्छता सर्वे -2018; डेढ़ महीने शेष, इंदौर-भोपाल में इस बार की ग्राउंड रिपोर्ट
भोपाल.स्वच्छता सर्वेक्षण-2017 में देश में सबसे साफ शहर के रूप में पहचान बनाने वाले इंदौर-भोपाल एक बार फिर नंबर-1 के दावे के साथ मैदान में हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में अब सिर्फ डेढ़ माह का वक्त शेष है। पिछली बार बहुत ही मामूली अंतर से 1 और 2 नंबर का फैसला हुआ था, लेकिन इस साल तस्वीर पूरी तरह बदली हुई है।
– इंदौर ने अपनी नंबर वन की पोजीशन को बरकरार रखने के लिए सफाई अभियान को मिशन की तरह सालभर जारी रखा। साथ ही ऐसे बुनियादी नवाचार भी किए, जो इंदौर को किसी प्रतियोगिता के लिए नहीं बल्कि स्थाई रूप से स्वच्छ शहर बनाए रखेंगे।
– वहीं भोपाल ने नंबर-2 का स्थान हासिल करने के बाद भी इसे सिर्फ प्रतियोगिता के लिए रख छोड़ा है। यानी फिर से जब सर्वे टीम आएगी उसी वक्त पूरी ताकत और संसाधन झोंककर सिर्फ कुछ हफ्तों के लिए दोबारा राजधानी को साफ कर लेगें। बाकी सालभर जैसा चलता है, चलता रहेगा।
एक प्रदेश, दो शहर और साफ-सफाई में इतना अंतर… जानिए दावों की सच्चाई
डोर टू डोर कचरा कलेक्शन
इंदौर
– सभी 85 वार्ड में 100% डोर टू डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था लागू। सभी डंपिंग यार्डों पर कंटेरन की व्यवस्था खत्म कर 600 मैजिक वाहन लगाए। हर वार्ड में 6 नियमित और 1 अतिरिक्त वाहन।
भोपाल
– शहर में 500 डंपिंग यार्ड । 4.5 क्यूबिक मीटर के 1200 कंटेनर और 1.1 क्यूबिक मीटर के 1000 कंटेनर अब भी इस्तेमाल में हैं, यानि डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन 50 फीसदी भी नहीं।
सफाई कर्मचारी
इंदौर
– कुल 6500 स्थाई सफाईकर्मी। पहले 4500 नियमित थे पिछले सर्वे के बाद 1500 कर्मचारी बढ़ाए। पिछले 7 माह से बायोमीट्रिक अटेंडेंस सिस्टम प्रभावी।
भोपाल
– कुल 6000 कर्मचारी। पिछले सर्वे के बाद 300 बढ़ाए। सर्वे के दौरान 500 अस्थाई कर्मचारी आउटसोर्स करने की तैयारी। बायोमीट्रिक अटेंडेंस कागजों में लागू, लेकिन ज्यादातर वार्डों में अब भी रजिस्टर हाजिरी सिस्टम से ही चल रहा काम।
कचरा ट्रांसपोर्ट एवं प्रबंधन
इंदौर
– अभियान चलाकर घर-घर में गीले और सूखे कचरे के लिए अलग-अलग डस्टबिन बंटवाए। हर चौराहे पर गीले-सूखे कचरे के लिए लेटरबिन (छोटी कचरा पेटी) स्थापित कराई।
भोपाल
– शहर में 12 स्थानों पर कचरा कलेक्शन और ट्रांसपोर्टेशन सेंटर हैं। एक भी साइंटिफिक नहीं, सेग्रिगेशन का कोई सिस्टम नहीं। वाहनों की धुलाई की कोई व्यवस्था नहीं।
अवेयरनेस
इंदौर
– जनजागरुकता के लिए हर दो दिन में एक टॉक शो। महापौर और निगमायुक्त दोनों रहते हैं मौजूद
2. स्कूली बच्चों को बनाया सफाई का ब्रांड एंबेसेडर
भोपाल
– निगम की ओर से अलग-अलग प्रतिनिधि समूहों के साथ शहर के होटलों में वर्कशॉप और सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है।
2. थर्ड जेंडर को ब्रांड एंबेसेंडर बनाया गया है। जागरुकता कार्यक्रम एनजीओ के भरोसे है।
नंबर वन की पोजिशन हमारा मिशन है
– हर हाल में हमें अपनी नंबर-1 की पोजिशन बरकरार रखनी है। यह हमारा सिर्फ काम नहीं बल्कि मिशन है। एक साल में हमने काम न करने वाले 1500 से ज्यादा सफाई कर्मचारियों को हटाया है।
मनीष सिंह, निगम कमिश्नर, इंदौर
सर्वे में वक्त है, बची कमियां दूर करेंगे
– स्वच्छता में नागरिकों की सहभागिता बढ़ाई जा रही है। उम्मीद है परिणाम बेहतर आएंगे। सर्वे में अभी वक्त है, तब तक जो भी कमियां हैं, उन्हें दूर किया जाएगा।