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यरुशलम को राजधानी बनाने के बाद शुरू हुई हिंसा, जलाए ट्रंप के पोस्टर

लंदन। यरुशलम को राजधानी बनाने के इजरायल के दावे पर मुहर लगाने वाले फैसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कड़ा विरोध होने लगा है। मुस्लिम जगत, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय यूनियन ही नहीं अमेरिका के हर फैसले में साथ रहने वाले ब्रिटेन और सऊदी अरब के सुर भी बदले हुए हैं। वहीं ट्रंप के इस फैसले के खिलाफ हिंसा की आग भड़कने लगी है।

इसको लेकर गुरुवार को वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में फिलिस्तीनियों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान उनकी इजरायली सुरक्षा बलों के साथ झड़प भी हुई। इसमें कम से कम 16 फिलिस्तीनी घायल हो गए। वहीं, इजरायल ने इस बढ़े तनाव को देखते हुए इलाके में भारी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात कर दी है। फलस्तीनियों ने ईसा मसीह के जन्म स्थान वेस्ट बैंक स्थित बेथलेहम में क्रिसमस पर होने वाले आयोजनों से भी खुद को अलग कर लिया है।

वहीं ब्रिटेन ने कहा है कि ट्रंप के फैसले से शांति प्रयासों में सहायता नहीं मिलेगी तो सऊदी अरब ने कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसे अन्यायिक और गैर जिम्मेदाराना कहा है। जबकि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप के फैसले को शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। कहा कि इजरायल की स्थापना के दिन से ही यरुशलम को राजधानी बनाना हमारा लक्ष्य था।

यरुशलम में अमेरिकी दूतावास के स्थानांतरण के ट्रंप के फैसले पर अमेरिका में अमल शुरू हो गया है। विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने कहा है कि अधिकारियों को तत्काल कार्य शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन जर्मनी और फ्रांस जैसे अमेरिका के बड़े सहयोगियों ने ट्रंप के फैसले से नाइत्तेफाकी जाहिर की है। फ्रांस ने इसे अमेरिका का एकतरफा फैसला करार दिया है जिससे मध्य-पूर्व की शांति को खतरा पैदा होगा।

जर्मनी ने यरुशलम को दो राष्ट्रों के बीच का मसला बताया जिसमें तीसरे देश के हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है। उल्लेखनीय है कि फलस्तीनी प्रभाव वाले इलाके में स्थित यरुशलम पर इजरायल का प्रशासनिक नियंत्रण है। दोनों ही देश उसे अपनी राजधानी बनाना चाहते हैं। वहां पर मुस्लिम, यहूदी और ईसाई धर्मों की मान्यताओं से जुड़े प्राचीन धर्मस्थल हैं।

लेकिन ट्रंप के दूतावास स्थानांतरित करने के फैसले से इजरायल का दावे पर अमेरिकी मुहर लग गई है, फिलहाल यह दूतावास तेल अवीव में है। इस विवाद में अभी तक अमेरिका की भूमिका मध्यस्थ की रही है। इलाके में इजरायल के खिलाफ दशकों से संघर्ष कर रहे अतिवादी संगठन हमास ने लोगों से शांति का रास्ता छोड़कर शुक्रवार को आक्रोश दिवस मनाने के लिए कहा है।

सुरक्षा परिषद में आज होगी चर्चा

यरुशलम पर ट्रंप के फैसले से बने हालात पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को आपात बैठक बुलाई है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने भी अमेरिका के इस एकतरफा फैसले की निंदा की है। उन्होंने कहा, इलाके में शांति के लिए इजरायल और फलस्तीन को मिलकर हल ढूंढ़ना होगा। किसी एकतरफा फैसले से हालात और बिगड़ने की आशंका है।

इराक ने राजदूत तलब कर विरोध जताया

अमेरिकी सहयोग से आतंकी संगठन आइएस को खदेड़ पाया इराक भी इस मसले पर तल्ख हो गया है। गुरुवार को इराक सरकार ने बगदाद स्थित अमेरिकी राजदूत को तलब कर यरुशलम में दूतावास स्थानांतरित करने के फैसले पर विरोध जताया। कहा कि वह ट्रंप प्रशासन को संदेश भेजकर यह फैसला रद करने के लिए कहें।

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