दावा मुफ्त इलाज का, आलम यह कि बगैर पैसा दिए कोई काम नहीं होता
सरकारी अस्पतालों के लिए लोगों की आम शिकायत है कि यहां न समय पर डॉक्टर मिलते हैं न दवाइयां। दावा तो मुफ्त इलाज का है, लेकिन हालत यह है कि बगैर पैसे दिए कहीं काम नहीं होता। कई लोग डॉक्टरों के रवैये से नाराज दिखे तो जांच से जुड़ी शिकायतें भी काफी मिलीं।
नईदुनिया के कार्यक्रम ‘हैलो नईदुनिया’ में शुक्रवार को भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर के लोगों ने जिम्मेदार अधिकारियों के सामने ऐसे ही सवालों- शिकायतों की झड़ी लगा दी। जिम्मेदारों ने व्यवस्थाओं में सुधार करने की बात तो कही लेकिन वे यह नहीं बता सके कि चाक-चौबंद व्यवस्था के दावे के बावजूद गड़बड़ी कहां व कैसे हो रही है।
ये समस्याएं सर्वाधिक
– डॉक्टरों का समय पर न मिलना, दवाइयों का अभाव।
– जांच की मशीनें अकसर खराब मिलना या बंद रहना।
– ग्वालियर के जेएएच में निजी अस्पतालों में रैफर करने की प्रवृत्ति।
– भोपाल के हमीदिया और जेपी अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़।
– जबलपुर मेडिकल अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ की बदसलूकी।
ये अहम सुझाव
– मेडिकल अस्पताल में सामाजिक कार्यकर्ता रखे जाएं। जो मरीज और परिजन को वार्ड, लैब व डॉक्टरों की
सही जानकारी दे सकें।
– परेशानी की स्थिति में शिकायत कहां करें, जानकारी कहां से लें इसकी सूचना प्रमुख जगह लिखी हो।
– कितनी दवाएं और जांच निशुल्क हो रही हैं इसका स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।
पढ़ें अपने शहर के सरकारी अस्पतालों को लेकर पूछे गए सवाल और उनके जवाब
भोपाल : अस्पतालों में मरीजों के प्रति बेहतर होगा व्यवहार, स्टाफ को देंगे ट्रेनिंग
जबलपुर : डॉक्टर, साहब, मेडिकल में दवाएं नहीं मिल रहीं, आखिर क्यों?
ग्वालियर : गर्भवती महिलाओं को कर देते हैं रेफर, डॉक्टरों का व्यवहार सही नहीं
इंदौर : सरकारी अस्पताल में डॉक्टर समय पर नहीं मिलते, दवाइयां नहीं मिलती
एक तरफ सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की बात कर रही है दूसरी तरफ आम आदमी को प्राथमिक उपचार के लिए भी जद्दोजहद करता पड़ रही है। तमाम दावों के बावजूद एमवायएच, जिला अस्पताल सहित स्वास्थ्य केंद्रों में न डॉक्टर नजर आते हैं न दवाईयां। एमवायएच में हालत यह है कि स्ट्रेचर वाले को पैसे दिए बगैर मरीज को वार्ड में शिफ्ट तक नहीं कर सकते।
स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ इस तरह की शिकायतें, समस्या और सुझाव पाठकों ने शुक्रवार को ‘हैलो नईदुनिया’ कार्यक्रम में जिम्मेदारों के सामने रखे। जवाब देने के लिए मौजूद थे एमवायएच अधीक्षक डॉ.वीएस पाल और सीएमएचओ डॉ.एचएन नायक। उन्होंने लोगों से मिले सुझावों को नोट कर उन पर अमल करने का आश्वासन भी दिया ताकि व्यवस्थाओं को बेहतर किया जा सके।
डॉ.वीएस पाल ने कुछ इस तरह दिया सवालों के जवाब
सवाल – एमवायएच में वार्ड बॉय नहीं मिलते हैं। परिजन को खुद जांच करवाने के लिए मरीज को लेकर जाना पड़ता है। बगैर कुछ पैसे दिए कर्मचारी मरीज को वार्ड तक नहीं ले जाते। मैं इस वर्क 23 नंबर वार्ड में हूं। यहां एक भी वार्ड बॉय नहीं है।
कृतेश जैन, गौतमपुरा
जवाब – आपको किसी को भी पैसे देने की जरूरत नहीं है। वार्ड 23 में वार्ड वॉय क्यों नहीं है? मैं आज ही इसकी जांच करवाता हूं। आप अधीक्षक कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाइए। कार्रवाई करेंगे।
सवाल – एमवाय अस्पताल में खुली अमृत फार्मेसी में रियायती दर के मेडिकल स्टोर में डायबिटीज की दवाई ही नहीं मिलती है। हर बार परेशान होना पड़ता है। दूसरे अस्पतालों के डॉक्टर जो दवाई लिखते हैं वह तो बिलकुल ही नहीं मिलती।
जितेंद्र गुप्ता, वार्ड क्रमांक 5
जवाब -मेडिकल स्टोर वालों से बातकर उनसे दवाई का पर्याप्त स्टाक रखने के लिए कहां जाएगा। डायबिटीज का एमवायएच में भी बेहतर इलाज होता है। हम अस्पताल में नि:शुल्क दवाई भी देते हैं। आप अस्पताल में डॉक्टर को दिखा सकते हैं।
सवाल – एमवायएच की व्यवस्था ठीक नहीं रहती। लिफ्ट बंद रहती है, डॉक्टर्स नहीं मिलते। इसे कैसे सुधारेंगे।
केडी चौबे, सिंगापुर टॉउनशिप
जवाब -आप एक बार अस्पताल आकर देखें। व्यवस्थाएं पहले से बेहतर हो गई हैं। अब यहां दिन में तीन बार सफाई करवाई जाती है। कर्मचारी और डॉक्टर्स भी मौजूद रहते हैं।
सवाल – ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों से जिन मरीजों को एमवायएच भेजा जा रहा है वहां उन्हें आपीडी में डॉक्टर्स नहीं मिलते। मरीज परेशान होते रहते है।
डॉक्टर जगदीश पचौरी इंदौर
जवाब – एमवायएच में सीनियर डॉक्टरों की टीम सुबह 9 बजे और दोपहर के वक्त को राउंड लेकर डाक्टरों की उपस्थिति की जांच करती है। उनके गायब रहने पर नोटिस देकर कारण भी पूछा जाता है। इसके बावजूद भी डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं तो हम व्यवस्था में और सुधार करेंगे।
सवाल -एमवायएच के कर्मचारियों को रिटायमेंट के बाद पेंशन व पीएफ के लिए परेशान होना पड़ता है। मेरी माताजी 31 दिसंबर 2016 को रिटायर्ड हुई थी। अब जाकर उन्हें पीएफ का पैसा मिला। ऐसे ही हालत अन्य कर्मचारियों की भी है। व्यवस्था कैसे सुधारेंगे।
तुषार मसुरेकर, देवी अहिल्या मार्ग
जवाब -कर्मचारियों को सुविधा देना हमारी प्राथमिकता है। पीएफ और पेंशन जारी करने में क्यों और किस वजह से देरी हो रही है। इसका पता लगाकर ठीक करवाएंगे।
सवाल – एमवायएच में 4 नवंबर को मेरे परिचित को एक्सीडेंट के बाद लाया गया था। जांच के बाद कहा कि 13 दिन के बाद ऑपरेशन करेंगे। हमेशा कहा जाता है कि व्यवस्था ठीक हो रही है लेकिन फिर ऐसी स्थिति क्यों बन रही है। नई ओपीडी में भी मरीज को ज्यादा समय लगता है।
दिनेश पुराणिक, क्लर्क कॉलोनी
जवाब -भर्ती मरीजों का इलाज प्राथमिकता के मुताबिक होता है। आप सीधे संबंधित सीनियर डॉक्टर से बात कर सकते हैं। हमने हाल ही में ओपीडी में काउंटर की संख्या बढ़ा दी है। इतने मरीज रोज आने के बाद भी समय पर उसी दिन उपचार व जांच पूरी हो रही है।
सवाल-मेरे परिचित कई दिनों से भर्ती है। डॉक्टर ऑपरेशन नहीं कर रहे। कभी कहते हैं मशीन खराब है तो कभी डॉक्टर ही नहीं मिलते। इलाज कब पूरा होगा।
सुनील मालवीय,मांगलिया
जवाब-आप इस संबंध में अस्पताल के अधीक्षक कक्ष में शिकायत करें। मरीज के साथ जरूर कोई समस्या रही होगी। जानबूझकर ऑपरेशन टाला जा रहा है तो कार्रवाई करेंगे।
सीएमएचओ डॉ.एचएन नायक ने यह कहा
सवाल-डिस्पेंसरी बहुत दूर है और वहां सुविधाएं बहुत कम हैं। बिचौली हप्सी में कोई सरकारी डिस्पेंसरी नहीं होने से लोग परेशान होते है। हर महीने की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं की बुलाया जाता है लेकिन डिस्पेंसरी की ओपीडी में जांच के लिए कोई मौजूद नहीं रहता।
वीरेंद्र शर्मा, वार्ड 76
जवाब – उस वार्ड में सरकारी डिस्पेंसरी की सुविधा में कहां कमी है इसे लेकर जांच की जाएगी। बिचौली हप्सी में डिस्पेंसरी खोलने के लिए शासन स्तर पर कार्रवाई की जाएगी। गर्भवती महिलाओं के लिए हर महीने की 9 तारीख को डॉक्टर को उपलब्ध रहना है। आपके वार्ड में क्यों नहीं रहते इसकी जानकारी लेकर व्यवस्था सुधारेंगे।
सवाल-सरकारी अस्पताल में डॉक्टर्स नहीं मिलते। वहां ब्लड डोनेनशन कैंप भी नहीं लगते। ब्लड डोनेट करने जाओ तो मना कर देते हैं। सरकारी अस्पतालों में अंगदान के लिए लोगों को जागरूक करने की भी कोई व्यवस्था नहीं है।
प्रेम नरेंद्र वैद्य, पार्श्वनाथ कॉलोनी
जवाब – सरकारी डॉक्टरों की उपस्थिति बनाए रखने के लिए समय-समय पर निरीक्षण करते हैं। सरकारी अस्पतालों में ब्लड डोनेशन के लिए कैंप लगवाए जाएंगे। अंगदान के प्रति जागरूकता के लिए भी काम करेंगे।
सवाल – वरिष्ठ नागरिकों के एथिकल दवाई की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। पहले उन्हें यह दवाईयां दी जाती थीं। फिलहाल उन्हें जेनरिक दवाईयां दी जा रही हैं। उन्हें लाइन में लगकर दवाई लेना पड़ती है। उनके लिए अलग से व्यवस्था होना चाहिए।
निर्मेश तिवारी,भवानीपुरा
जवाब-वरिष्ठ नागरिकों के लिए अस्पतालों में अलग काउंटर की व्यवस्था की जाएगी। जितनी भी दवाई है सभी फ्री में उपलब्ध करवाई जा रही है। दवाईयों का शार्टेज नहीं है। हो सकता है कुछ अस्पताल स्टोर से दवाईयां नहीं ले रहे हो। इस मामले की जांच कराएंगे।