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GST रिटर्न न भरने वालों से संपर्क करेंगे अधिकारी

नई दिल्ली। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने फील्ड ऑफिसों को जीएसटी रिटर्न नहीं भरने वालों की पहचान करने को कहा है।

यहां अधिकारी ऐसे लोगों का पता लगाएंगे जो पहले सर्विस टैक्स या वैट का रिटर्न भरते थे, लेकिन अब रिटर्न फाइल नहीं कर रहे हैं। उनसे यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि वह रिटर्न क्यों नहीं भर रहे हैं।

जरूरत पड़ने पर क्षेत्रीय आयुक्त उनकी मदद करेंगे। जीएसटी नेटवर्क पोर्टल में करीब एक करोड़ कारोबारियों ने पंजीकरण कराया है।

इनमें से करीब 72 लाख लोग पहले के उत्पाद शुल्क, सर्विस टैक्स और वैट के तहत पंजीकृत थे। एक अधिकारी ने बताया, ‘फील्ड ऑफिसों के पास यह जानकारी है कि कौन-कौन से कारोबारी पहले की कर व्यवस्था में रिटर्न भरते थे।

अब उनसे जीएसटीआर-3बी रिटर्न का डाटा साझा किया गया है। इससे उन्हें यह पता लगाने में सहायता मिलेगी कि ऐसे कौन लोग हैं, जो कर दायरे में आते हैं, लेकिन नई कर व्यवस्था का हिस्सा नहीं बने हैं।’

अधिकारी ने कहा कि विभाग कारोबारियों से नरमी से पेश आ रहा है क्योंकि यह नई कर व्यवस्था है।

हालांकि कई कारोबारी हैं जिन्होंने जीएसटी के तहत पंजीकरण तो कराया है लेकिन उन्होंने रिटर्न नहीं भरा है। क्षेत्रीय दफ्तरों को ऐसे लोगों से संपर्क करने और उनकी जरूरतों को जानने के लिए कहा गया है।

जीएसटी के तहत पंजीकृत एक करोड़ उद्यमों में से 15 लाख ने कंपोजीशन स्कीम का चुनाव किया है। बाकी में से 55.87 लाख लोगों ने जुलाई में जीएसटीआर-3बी फाइल किया था।

अगस्त में 51.37 लाख और सितंबर में 42 लाख से ज्यादा लोगों ने रिटर्न फाइल किया। अधिकारी ने बताया कि रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों में कई कारोबारी ऐसे हैं, जिनकी टैक्स लायबिलिटी शून्य है।

ऐसे में उन्हें रिटर्न भरने की जरूरत नहीं लगती। उन्हें इस ओर लाना होगा। एफएटीएफ अब राजस्व विभाग के अधीन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की गतिविधियों को आर्थिक मामलों से हटाकर राजस्व विभाग के अधीन कर दिया गया है।

एफएटीएफ एक इंटर गवर्नमेंटल ग्लोबल बॉडी है। इसका काम मनी लांड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के लिए घातक अन्य गतिविधियों से निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के क्रियान्वयन को प्रोत्साहित करना और उनके मानक तय करना है।

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