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नोटबंदीः RBI ऐसा करती है 500-1000 के नोटों का हाल

चंडीगढ़. 8 नवंबर 2017… ठीक एक साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपए के नोटों को बंद करने का फरमान सुनाया था। इसके बाद कैश की किल्लत थी- जितनी दिक्कत नए नोट हासिल करने में आई, उतनी ही परेशानी इल्लीगल टेंडर करार दिए गए 500-1000 के नोटों को बदलने में भी। देश की जनता ने लाइन में लगकर एटीएम से सौ-पचास के नोट निकलवाए, तो बंद हो चुके नोट बदलने के लिए भी बैंकों की लाइनों में लगना पड़ा

अब आप जानना चाहेंगे कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने उन नोटों का क्या किया जो लीगल टेंडर नहीं थे, जिनकी कीमत जीरो हो गई थी?

जवाब: ब्रिक्स में बदला जा रहा है…
यह जो फोटो आप देख रहे हैं उससे पता चलता है कि 500-1000 के नोटों का क्या हश्र हुआ। आरबीआई इन नोटों को ब्रिकेट (BRIQUETTE फ्रेंच भाषा का शब्द, जिसका मतलब ब्रिक) में तब्दील कर रही है। यह ब्रिकेट 500-1000 के नोटों से ही बना है, जिनकी कीमत कभी ढाई लाख रुपए थी।
दूसरा फेज होता है : श्रेडिंगब्रिकेट सिस्टम (एसबीएस), जिसके तहत नोटों को मशीन से महीन कतरनों में बदल दिया जाता है और फिर इन्हें कम्प्रेस कर ब्रिक्स की शेप दी जाती है।

पहला है :करंसी वेरिफिकेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टम (सीवीपीएस), जिसमें चेक किया जाता है कि करंसी वाकई में नष्ट करने लायक है या नहीं। 500 और 1000 के नोट चूंकि 8 नवंबर 2016 की रात 12 बजे के बाद से लीगल टेंडर नहीं रह गए थे, इसलिए इन्हें नष्ट करने में कोई अड़चन नहीं थी।

इनब्रिक्स को री-साइकल करके कार्ड बोर्ड, फाइल कवर आदि बनाया जाता है। नोटों में ऑयल कंटेंट होने की वजह से इंडस्ट्रियल फ्यूल के रूप में भी इनका इस्तेमाल किया जाता है। कई जगहों पर ये लैंड फिलिंग के लिए भी इस्तेमाल होते हैं, हालांकि यह बहुत कम होता है। जरूरत के मुताबिक ये ब्रिक्स कंपनियों को देने के लिए बाकायदा टेंडर कॉल किए जाते हैं।
24 घंटे ब्रिक्स बनाने में जुटी टीम

आरबीआई के चंडीगढ़ स्थित रीजनल ऑफिस में इन दिनों करीब तीन दर्जन कर्मचारियों की टीम 500-1000 के नोटों की ब्रिक्स बनाने में जुटी है। सूत्रों के मुताबिक नोटों की मात्रा इतनी ज्यादा है कि 24 घंटे काम चल रहा है।

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