नोटबंदी से कितना फायदा-कितना नुकसान? मोदी के मंत्री देंगे जवाब
आने वाली 8 नवंबर को नोटबंदी को एक साल पूरा हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को ही नोटबंदी का ऐलान किया था. उसके बाद से ही यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है. यह एक सफल फैसला था या फिर एक फेलियर इस मुद्दे पर बात करने के लिए आज दिन भर कई केंद्रीय मंत्री सवालों का जवाब देंगे. साथ ही विपक्ष के भी कई नेता मौजूद रहेंगे जो कि सरकार पर सवाल दागेंगे.
कई दिग्गज होंगे शामिल –
11:15 – 12:00 नोटबंदी से क्या मिला?
पीयूष गोयल, रेलमंत्री
सचिन पायलट, कांग्रेस नेता
12:15 – 12:45 इंडस्ट्री का नफा-नुकसान
सुरेश प्रभु, कॉमर्स मंत्री
12:45 – 13:15 नोटबंदी पर जश्न क्यों?
रविशंकर प्रसाद, कानून मंत्री
13:15 – 14:00 इंडस्ट्री पर नोटबंदी का क्या असर?
राजीव तलवार, CEO & Whole-time Director, DLF Limited ·
संजय सेठी, Co-founder & CEO, Shopclues.com
बिपिन प्रीत सिंह, Founder CEO & Director, MobiKwik
कुंवर सचदेव MD, Su-Kam Power Systems
14:00 – 14:45 नोटबंदी पर विशेषज्ञों की राय
सुरजीत भल्ला, सदस्य, प्रधानमंत्री आर्थिक एडवाइजरी काउंसिल
प्रोफेसर अरुण कुमार, जेएनयू
14:45 – 15:30 नोटबंदी का किसानों पर असर
महेश शर्मा, केंद्रीय मंत्री
दीपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस नेता
15:30 – 16:15 नोटबंदी: ब्लैक और व्हाइट
जयंत सिन्हा, केंद्रीय मंत्री
रणदीप सुरजेवाला, कांग्रेस नेता
16:15 – 16:45 नोटबंदी
बिबेक ओबरॉय, सदस्य, नीति आयोग
16:45 – 17:15 नोटबंदी: कालादिवस क्यों?
पी. चिदंबरम, पूर्व वित्तमंत्री
17:30 – 18:15 नोटबंदी: पक्ष और विपक्ष
प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय मंत्री
अभिषेक मनु सिंघवी, कांग्रेस नेता
आने वाली 8 तारीख को सरकार बनाम विपक्ष
आपको बता दें कि आने वाली 8 तारीख को एक ओर सरकार जहां इसे एंटी ब्लैक मनी डे के रूप में मनाएगी. तो विपक्ष भी पूरे देश में इसे कालाधन दिवस के रूप में मनाएगा और सरकार पर हमला बोलेगा. पीएम मोदी भी लगातार वार कर रहे हैं कि विपक्ष 8 नवंबर को मोदी का पुतला फूंकने की तैयारी में है.
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8 नवंबर 2016 को लागू हुई थी नोटबंदी
गौरतलब है कि पिछले साल 8 नवंबर को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोटों पर पाबंदी की घोषणा की थी. जिसके बाद लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. नोटबंदी के बाद बड़ी तादाद में फर्जी कंपनियों के जरिए नकद राशि जमा कराने जैसी घटनाएं सामने आई थीं.
हालांकि, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों ने भी सबको हैरान कर दिया था. जिसमें कहा गया था कि नोटबंदी के बाद 99 फीसदी पुराने वोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आए हैं. विपक्ष ने इस पर सवाल उठाते हुए मोदी सरकार के फैसले को कालाधन को सफेद करने वाला कदम करार दिया था.
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क्या था आरबीआई की रिपोर्ट में
बता दें कि वित्त राज्यमंत्री संतोष गंगवार ने बताया था कि 8 नवंबर तक 6.86 करोड़ रुपये से ज्यादा के 1000 के नोट सर्कुलेशन में थे. मार्च 2017 तक सर्कुलेशन वाले 1000 के नोट कुल नोटों का 1.3 फीसदी थे. इसका मतलब 98.7 फीसदी नोट RBI में लौट आए थे . इसका मतलब 98.7 फीसदी 1000 के नोट ही आरबीआई में वापस आए हैं.
वित्त वर्ष 2016 में रिजर्व बैंक को करेंसी छापने के लिए 3,421 करोड़ रुपये खर्च किए थे वहीं नोटबंदी के बाद वित्त वर्ष 2017 में यह खर्च बढ़कर 7,965 करोड़ रुपये हो गया.